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Description
यह डॉ. दिनेश कर्नाटक की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक हिन्दी कहानी के उद्गम विकास व वर्तमान विमर्श पर विस्तृत चर्चा करती है। पुस्तक में कहानी के विकास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक में प्रमुख आलोचकों यथा नामवर सिंह, राजेन्द्र यादव के विचारों का अनुशीलन किया गया है। पुस्तक में कुल आठ अध्याय हैं। प्रसिद्ध युवा आलोचक पल्लव ने इस पुस्तक के विषय में कहा है कि दिनेश कर्नाटक अपने इस अध्ययन में सवा सौ साल की हिन्दी कहानी परम्परा को व्यपकता और गहराई के साथ देखने समझने की कोशिश करते हैं। उनकी यह कोशिश ईमानदार और सकारात्मक है क्यांकि वे किन्हीं बनाए बनाये निष्कर्षों को छूने की हड़बड़ी में नहीं हैं।
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